स्वाध्याय (ध्वनिमुद्रण)

जिनवाणीपुत्र क्षुल्लक श्री ध्यान सागरजी महाराज ने अनेक गत अनेक वर्षों से जिनवाणी का गहन अध्ययन किया है, महाराजजी की स्वाध्याय और उपदेश की सरल शैली के कारण जटिल विषयों को सरलता से स्वाध्यायी जन ग्रहण कर सकते है।

 

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