अरिहंत को नमन अरिहंत को नमन सिद्ध प्रभुको नमन सिद्ध प्रभुको नमन,
आचार्य को नमन आचार्य को नमन उपाध्याय को नमन उपाध्याय को नमन। सर्व साधु को नमन सर्व साधु को नमन ये हैं मेरे पञ्च गुरु इनको सदा नमन, इनके नमन से हो मुक्ति पथ पे गमन इनकीही भक्तिमेंहो मेरेमन-वच-तन॥१॥
अरिहंत जय जय सिद्ध प्रभु जय जय साधु जन जय जय जिनधर्म जय जय,
अरिहंत मंगल सिद्ध प्रभु मंगल साधु जन मंगल जिनधर्म मंगल।
अरिहंत उत्तम सिद्ध प्रभु उत्तम, साधु जन उत्तम जिनधर्म उत्तम
अरिहंत शरणा सिद्ध प्रभु शरणा साधु जन शरणा जिन धर्म शरणा।।२।।
चार शरण अघ हरण जगत में
और न शरणा हितकारी, जो जन ग्रहण करें वे होते अजर अमर पद के धारी। नमस्कार श्री अरिहंतों को सिद्धि प्रदाता सिद्धों को, आचार्यों को उपाध्यायों को सर्वलोक के संतों को।।३।।